Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -01-Nov-2022

न तो हमसफर न किसी हमनशी से मिला
बीती रात मैं तन्हा रहा तो खुद ही से मिला


कुछ ख़्वाब दफ़न है अरमानों संग दिल में
इस राज का पता मुझे तेरी कमी से मिला

 
उड़ते उड़ते जो पहुंच गया था आसमानों में
हवा जो थम गई ढूंढ़ा उसे वो जमीं से मिला

 
उनसे मिलने की तदबीर यूं कर दी ख़ुदा ने
पता पुछते हुए अग्यार का वो हमीं से मिला


फर्श पर पड़ा रहता हूं अर्श से जुड़ा रहता हूं
मंजिल का पता मुझे आंखों की नमी से मिला

   17
6 Comments

Raziya bano

02-Nov-2022 10:17 AM

Nice

Reply

Punam verma

02-Nov-2022 09:42 AM

Nice

Reply

Abhinav ji

02-Nov-2022 08:31 AM

Nice one

Reply